उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद अब पर्यटन गतिविधियों में गड़बड़ी करने वाले कारोबारियों पर पेनाल्टी लगा सकेगी। बुधवार को विधानसभा के पटल पर रखे गए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद संशोधन अध्यादेश 2019 में यह व्यवस्था की गई है। राज्य में पर्यटन गतिविधियों से जुड़े कारोबार को पर्यटन विकास परिषद नियंत्रित करती है। पर्यटन से संबधित कारोबारी पर्यटन विकास परिषद में ही अपना पंजीकरण कराते हैं। परिषद को कारोबार पर शुल्क लगाने का अधिकार तो था लेकिन गड़बड़ी करने पर पेनाल्टी का अधिकार नहीं था। इसके बाद सरकार ने अध्यादेश लाकर इसमें संशोधन करने का निर्णय लिया था। संशोधन अध्यादेश को अब विधानसभा में पेश कर दिया गया है। इस संशोधन के बाद परिषद को पर्यटन से जुड़े कारोबारियों पर गड़बड़ी करने की सूरत में पेनाल्टी लगाने का अधिकार मिल जाएगा। पर्यटन से जुड़े सभी व्यवसाय इसके दायरे में आएंगे। इसके अलावा अधिनियम में पूर्व में हुई कुछ त्रुटियों को भी सुधारा जा रहा है। इसके साथ ही बुधवार को विधानसभा के पटल पर उत्तराखंड उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिनियम संशोधन अध्यादेश, उत्तराखंड उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम संशोधन अध्यादेश, माल एवं सेवा कर अधिनियम में संशोधन से संबधित अध्यादेश सदन के पटल पर रखे गए। इसके साथ ही बुधवार को सरकार ने उत्तराखंड खाद्य आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन, उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के चार वार्षिक प्रतिवेदन, उत्तराखंड अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन, उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग की वार्षिक रिपोर्ट और वार्षिक लेखा विवरण सदन के पटल पर रखा।
राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्री अपना आयकर अब खुद भरेंगे। सरकार की ओर से पूर्व में लाए गए अध्यादेश को विधानसभा के पटल पर पेश कर दिया गया है। शीत कालीन सत्र के पहले दिन संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने यह अध्यादेश सदन के पटल पर रखा। विदित है कि राज्य में मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों का आयकर सरकार चुकाती थी। यूपी सहित कई राज्यों में इस व्यवस्था में बदलाव के बाद राज्य कैबिनेट ने भी पुरानी व्यवस्था को खत्म करने का निर्णय लिया था। इस संदर्भ में सरकार की ओर से अध्यादेश लाया गया था। जिसके बाद अब विधानसभा के पटल पर इस अध्यादेश को पेश कर दिया गया है। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के आयकर भरने की व्यवस्था में बदलाव के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।